पशु इस देश की रीढ़ हैं, वो हमसे भी बड़े भारतवासी हैं बेशक उनके पास कोई आधारकार्ड या पासपोर्ट न हो। ~ Way To Live Life

Friday, 3 August 2018

पशु इस देश की रीढ़ हैं, वो हमसे भी बड़े भारतवासी हैं बेशक उनके पास कोई आधारकार्ड या पासपोर्ट न हो।

हरियाणा काऊ पहाड़ी गाय, गिर, साहीवाल, राठी, कांकरेज, नागौरी, कितने नाम लूं, इनकी तो शक्लो सूरत पर ही इलाके की पहचान दर्ज हैं। लेकिन आज ये गौवंश खतरे में हैं। देश की इस रीढ़ पर पहला हमला उस दिन हुआ था जब भट्ठी के बालकों ने गाय के दूध का रेट फैट के आधार पर तय करना बताया था। इस देश के समस्त वैज्ञानिक जगत को डूब के मर जाना चाहिए, जो सत्य इस देश के लोगो को नही बताया। वो सत्य जिसे इस देश का बच्चा बच्चा जानता था।


आज रिकॉर्ड बताते हैं के भारत दूध के उत्पादन में नम्बर वन है, अब सच्चाई सुन लीजिए भारत नकली दूध के उत्पादन में नम्बर वन है। दूध बनाने के लिए आज गाय की आवश्यक्ता नही है, एक मिल्क प्लांट बनाओ और सीधे दिल्ली की तिलक मार्किट चले जाओ वहां तमाम वो केमिकल मिलेंगे जिनसे असली दूध बनाया जा सकता है कमाल की बात यह है कि वो दूध देश मे FSSAI द्वारा स्थापित हर लेबोरेटरी में पास हो जाएगा। उदहारण के तौर पर हमारा देश का मिल्क स्टैण्डर्ड यह बतातया है के दूध में अमुक प्रतिशत फैट होनी चाहिए | अब वो फैट पालमोलीन डाल कर बनाई गई हो या रिफाइंड डाल कर इससे कानून को कोई मतलब नही। दूध में फॉर्मोलिन मिला दो इसपर कोई दिक्कत नही किसी को। आज देश के किसी भी टॉप या फ्लॉप ब्रांड का दूध का सैंपल लेकर उसमे फोर्मलिन चेक करवाइए। 100% निकलेगा। यह समस्या किसी नेता के एजेंडे में नही है क्योंकि नेताओं के स्पांसर तिलक त्रिपुण्डधारी, "राम-राम" जपने वाले लाला डिपार्टमेंट है जो सब कुछ कानून के दायरे में रह कर सबको मौत बांट रहे हैं। जब दूध पैदा करने के लिए गाय की ही आवश्यक्ता नही है फिर जो गाय पाले बैठे हैं उन्हें पागल घोषित करने के लिए 18 रुपये लीटर दूध घोषित करवा दो और गुलामी में ढेल दो। फैट का जमाना है भाई फैट लाओ फैट।

उसके बाद आ गए गौभक्त जिन्हें पता था मुनाफ़ा कहाँ है मीट काटने के संयंत्र लगाने पर सब्सिडियों के अंबार हैं। सो अब मीट काटने के परमिट अप्लाई कर डाले इधर फ़ाइल चल रही है, उधर से एक स्टोरी बना कर लाये A2 मिल्क। ताकि देश की जनता गाय-गाय में भेद करना सीख जाए और जब दूसरी गाय कटे तो शोर न मचे। अबे इंसानियत के दुश्मनों ! तिलक मार्किट के केमिकल से बने दूध से तो लाख गुने बेहतर है जर्सी गाय का दूध जिसे पी कर कैंसर तो नही होता।

इस देश के वैज्ञानिक सबसे बड़े दोषी हैं जो न लिखते न बताते न बोलते केवल और केवल गुलामी का जीवन व्यतीत करके कुत्ते की मौत मर जाते हैं। इस देश की जनता को सत्य कौन खोज कर बताएगा। हरियाणा के लोग पिछले 70 सालों में हिसाब लगाएं के किन लोगों ने पशुओं के कत्लखाने कब-कब और कहां-कहां खुलवाये ???

जाग जाओ देश के लोगो अन्यथा ये मोड्डा महकमा और ये नकली गौभक्त इस देश के पशुधन को खा जाएंगे क्योंकि इन्हें देसी घी बनाने के लिए न गाय चाहिए और न भैंस। आपको कैंसर और डायबेटीज देने में भी इन्ही के वारे न्यारे हैं। पार्टियों और नेताओं की पूरी पीढ़ी को इग्नोर मार कर अपने अंदर से नई लीडरशिप को पैदा कीजिये जो प्रोब्लमस की बात न करे सीधम सीध हल निकालने के लिए साथ जुटे। 
 

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