मेरे मन में हमेशा कोई न कोई सवाल उठता रहता है जिनमें से कुछ सवालों के जवाब कभी प्रत्यक्ष रूप से (Directly) और कभी अप्रत्यक्ष रूप से (Indirectly) मुझे मेरे आस पास मौजूद मेरे अपनों से व कभी कभी अजनबियों से भी मिल जाते है |
अब मसला ये है कि जिन सवालों के जवाब कहीं से नहीं मिल पाते तो मन में बेचैनी हो जाती है और क्यूरोसिटी के कीड़े एडियाँ उठा कर उन सवालों के जवाब ढूंढने में लग जाते हैं | अब हाल-फिलहाल उन सवालों के जवाबों को ढूँढने का ज़रिया गूगल बाबा ही हैं लेकिन बहुत बार उनके पास भी जवाब नहीं मिल पाता तो ये प्रकृति (Nature) मुझे उस सवाल को हल करने में मदद करती है | वो अलग बात है कभी-कभी मैं प्रकृति (Nature) के इशारे नहीं समझ पाती लेकिन अंत में किसी न किसी ज़रिये प्रकृति (Nature) अपना काम कर ही देती है और मेरी उलझन सुलझ ही जाती है |
तो आज मैं अपने कुछ सवालों को आपके साथ सांझा करूंगी और उनके जवाब भी ताकि यदि कभी आपके मन में भी कभी ऐसे सवाल आये हों और कोई हल न निकला हो तो आप की उलझन भी थोड़ी सुलझ सके |
Q. रात को कौन लोग नहीं सो पाते या उन्हें नींद क्यों नहीं आती ???
1. मुझे रात को बहुत बार नींद नहीं आती या ये कहो कि अक्सर ही देर रात तक नींद नहीं आती | हाँ जिस दिन अगर रात को बिना खाए जल्दी सो जाऊं तो वो अलग बात है | अगर मैं कुछ काम कर रही हो तब तो मुझे जागने में कोई समस्या भी नहीं है लेकिन बिना किसी काम के भी नींद न आये तो मैं परेशान हो जाती हूँ कि नींद क्यों नहीं आ रही है | तो इस सवाल का हल खोजने के लिए जब मैंने थोड़ी रिसर्च की तो यह पाया :
तीन तरह के लोग रात में नहीं सोते :
1. एक रोगी रात में नहीं सो पाता : रोगी का मतलब है एक बीमार इंसान क्योंकि वो बीमारी के कारण सो नहीं पाता |
2. एक भोगी रात में नहीं सोता : सुख खोजने वाला भोगी भी रात में नहीं सोता क्योंकि उसके लिए भी रात मददगार होती है |
3. एक योगी भी रात में नहीं सोता : एक योगी भी रात में नहीं सोता क्योंकि उसके लिए भी रात बहुत सहायक होती है |
अब आप इनमें से क्या हो आप तय कर लीजिये !
अब जानते हैं रात में ऐसा क्या ख़ास होता है :
देखिये हमारे लिए रौशनी इसलिए कीमती है क्योंकि हमारी आँखे एक ख़ास तरह से बनी हुई है | रोशनी आपको हर चीज़ अलग अलग करके दिखाती है | जैसे दिन में हम हर एक छोटी से छोटी चीज़ को अपने अनुभव (observation) में ला सकते हैं | लेकिन रात में बेशक आप कितनी भी रोशनीदार जगह पर हैं लेकिन रात में कुछ ऐसा है कि रात में सीमायें (Eye boundary line) कुछ धुंधली हो जाती हैं तो योग के लिए, पढाई के लिए, किसी एक चीज़ पर फोकस करने के लिए, इन सभी चीज़ों के लिए रात ज्यादा सहायक लगती है क्योंकि रात में आपके और दुसरे के बीच का अंतर कम हो जाता है और वो सिर्फ इस लिए क्योंकि हमारी आँखें इस तरह से काम करती हैं | जहाँ रोशनी न हो वहां हमारे अनुभव में हर चीज़ मिलकर एक हो जाती है | तो एक रोगी, भोगी और योगी ये तीनों रात का इस्तेमाल करते हैं |
आप भी इसका इस्तेमाल कर सकते हैं, इसमें कोई समस्या नहीं है जब तक कि आप क्लास, ऑफिस या दिन में सोते न हों | अगर आप दिन में नहीं सोते तो चलेगा, इसमें कुछ गलत नहीं है |
आप एक चीज़ आज़मा कर देखिये | चाहे आप कहीं पर भी है, चाहे किसी भी टाइम ज़ोन में होने पर | यदि आप सुबह के 3:20 से 3:40 के बीच में जाग जाते हैं तो इसका मतलब है आपका सिस्टम संवेदनशील है | तो चाहे आप उस समय उठ कर कुछ न करें या फिर बाद में और सो जाएँ लेकिन यदि आपका शरीर इस समय जाग जाता है तो यह एक अच्छा संकेत है क्योंकि आज हमें अपने सिस्टम में संवेदनशीलता (Senstivity) लाने की बहुत जरूरत है |
देखिये हम इस धरती के अंश हैं, हाँ या ना | तो कोई इंसान अपने बारे में कुछ भी बकवास सोचे कि वो ये है या वो ऐसा कर सकता है | लेकिन हम सब इस धरती से पॉप-अप (Pop-up) हुए हैं | क्या आपने कंप्यूटर स्क्रीन पर पॉप-अप देखे हैं - "पॉप-अप" | हम सब बस पॉप-अप हैं | हम सब एक दिन पॉप-अप हो जायेंगे | हाँ क्योंकि वो जिन्हें हम अपने से दूर जाने देना नहीं चाहते थे या हैं या फिर वो सारे चालाक लोग और वो अनगिनत लोग जो आपसे और मुझसे पहले इस धरती पर घुमते थे वो कहाँ हैं सब मिट्टी हो गये | क्या वे पॉप-अप नहीं थे ? क्या हम पॉप-अप नहीं हैं...
हाँ, आपको लग सकता है कि आपका जीवन शानदार है bla... bla... bla... लेकिन जहाँ तक धरती का सवाल है वो बस अपनी मिटटी को रीसायकल (Recycle) कर रही है | हम को उछालती है और फिर वापस खींच लेती है तो इस ज़रा से पॉप-अप में सबसे जरुरी चीज़ और सबसे अहम चीज़ यह है कि हम अपने अंदर संवेदनशीलता (Senstivity) लायें | ऐसी संवेदनशीलता (Senstivity) की जीवन का हर आयाम(Dimension) हमारे अनुभव में आ जाए | इससे पहले कि हम मर जायें क्या ये बहुत ज्यादा जरुरी नहीं है ??? कि आप इस जीवन को हर सम्भव स्तर पर अनुभव करें... हैं न - हाँ या ना ???
अनुभव का मतलब है - इंसान के जीवन में खोजने के लिए बहुत कुछ है, हमें संवेदनशील होना होगा | अब "संवेदनशील" इस शब्द का गलत तरीके से इस्तेमाल किया जाता है | अब यदि कोई किसी को संवेदनशील (सेंसिटिव) कहता है तो लोग समझते हैं कि "अरे वो संवेदनशील है तो मतलब होता है वो छोटी सी बात का बुरा मान जायेगी" | लेकिन संवेदनशील से मेरा मतलब है - आपके जीवन का संवेदनशील होना (Being sensitive to your life) और न कि आपके अहम का संवेदनशील होना (Being sensitive to your ego) ये दोनों अलग चीज़ हैं |
जीवन के संवेदनशील होने का मतलब है अगर आप किसी जगह पर जाते हैं तो वहां मौजूद हर एक इंसान या चीज़ को अनुभव करते हैं, आपसे कुछ नहीं छुप सकता और यदि आप कहीं बाहर जाते हैं तो आप किसी चीज़ को अपने अनुभव में लाने से नहीं चुकते | जीवन के हर आयाम (Dimension) को हमारे अनुभव में आना चाहिए |
तो संवेदनशीलता विकसित करने का मतलब है यदि आप अपनी आँखें बंद करें तो हम ये जान जाएँ कि चाँद अभी किस अवस्था में है क्योंकि यह हर दिन हमारे शारीर में यह हो रहा है, हर दिन हमारे सिस्टम में यह ज़ाहिर हो रहा है |
क्या आपने ध्यान दिया है कि जब पूर्णिमा या आमवस्या हो तो पूरा समुद्र उछलता है, ज्वारभाटा आता है, पूरा समुद्र उपर उठने की कोशिश कर रहा है तो हमारे शारीर का 72 फीसदी पानी है तो क्या आपको हमारे शरीर पर इसका कोई प्रभाव नहीं होता होगा, बिल्कुल होता है | क्या आपको नही लगता कि पूर्णिमा या आमवस्या के आस पास के दिनों में चाँद का हमारे शरीर पर भी कुछ असर जरुर होता होगा |
बहुत सी चीज़ें जो इस धरती के साथ हो रही हैं वो हमारे साथ भी हो रही हैं | इसलिए हमारे जीवन को संवेदनशील बनना चाहिए, तभी हम ये जान पायेंगे कि अपने जीवन के हर एक पहलू को कैसे संभालें |
अहम को संवेदनशील मत बनाइए | हमें अपने सामाजिक जीवन को संवेदनशील नहीं बनाना है | अगर हमारे भीतर का जीवन (Inner Life) संवेदनशील बन जाये और हमें यह पता हो कि इस जीवन के साथ जो कुछ हो रहा है, वो ये एक चीज़ अगर हम जानते हैं तो हमें ऐसा लगेगा कि जैसे हमारा GPS ऑन हो गया है | तब कोई समस्नया नहीं होगी और आप कभी खोएंगे नहीं |
फिर इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि कौन क्या कहता है, आप किस हालात में पहुँच गये हैं और आप कभी भटकेंगे नहीं क्योंकि आपका जीवन संवेदनशील है | इस जीवन कि बस ये ही जरुरत है कि इसे एक जीवन के रूप में संवेदनशील बनना है |
अभी हमने अपने आस पास एक ऐसा मनोवैज्ञानिक ढांचा (Psycological Framework) विकसित कर लिया है जिसका जीवन से कोइ लेना देना नहीं है | इसका थोड़ा सरोकार सामाजिक जीवन पहलू से तो है, लेकिन जीवन से कोई लेना देना नहीं है |
Q. अगर दिन में किसी भी समय नींद आप पर धावा बोल रही है तो उसका क्या कारण है ?
Ans. दिन में यदि आप कुछ काम कर रहे हैं जैसे पढ़ना, ऑफिस वर्क आदि और नींद आप पर धावा बोल रही है तो मैं चाहती हूँ कि पहले आप ये समझें कि यह क्या है |
नोट : क्योंकि मेरे साथ भी ऐसा होता है और इसलिए मैंने इसको जानने की कोशिश की क्योंकि मुझे या तो बिल्कुल नींद नहीं आती या फिर नींद इतनी आसानी से और कहीं भी आ जाती है | तो मैं इस बात से बहुत परेशान थी (कुछ-कुछ हूँ भी) तो इसलिए मैंने यह जानने कि कोशिश की |
ज्यादातर लोग... नहीं.... ज्यादातर नहीं ... दुनिया में बहुत से लोग ठीक से सोना भी चाहें तो सो नहीं सकते | वो बहुत सोने की कोशिश भी करते हैं लेकिन सो नहीं पाते, उन्हें नींद की गोली खानी पड़ती है | दुनिया में लाखों-करोड़ों लोगों की ये ही हालत है |
तो अगर दिन में किसी भी समय नींद आप पर धावा बोल रही है तो इसका मुख्य कारण यह है कि आप अपने शरीर की बुनियादी जांच करें कि आपके सिस्टम में कुछ गड़बड़ तो नहीं है क्योंकि जब मनुष्य किसी शारीरिक परेशानी से गुजरता है तब भी ऐसा हो सकता है, तो क्या आपने गौर किया कि आपको नार्मल टाइम से ज्यादा नींद आती है | तब शरीर आराम ज्यादा चाहता है क्योंकि उसके पास बाकि कामों क लिए पर्याप्त ऊर्जा नहीं होती | यह पहला कारण है |
दूसरा कारण यह है कि यदि आप पर्याप्त खाना नहीं खाते तो आप एक एक्सपेरिमेंट करके देखिये | ये मैं सबके लिए नहीं कह रही हूँ लेकिन यदि आप गौर कर रहे हैं कि आपको दिन भर नींद आती रहती है तो आप 24 कोर (24 bites) खाना खाइए | यानी 24 बार मुंह में खाना डालिए और हर एक कोर को भी 24 बार चबाएं |
असल में आपकी सतर्कता (Awareness) इससे तय होती है कि आप कितने उर्जावान हो | अब यदि आप सामान्य 24 कोर खायेंगे तो आप देखेंगे कि आप सुबह 3:30 बजे के आस पास उठ जायेंगे | यदि आप हर एक कोर को 24 बार चबा कर खाते हैं तो पहले से ज्यादा सतर्क और ध्यानमय रहेंगे |
यदि आप सुबह के खाने को 24 कोर में खाते हैं और हर एक कोर को भी 24 बार चबाते हैं तो आपको दिन में नींद नहीं आएगी और आप कभी बीमार नहीं पड़ेंगे | आपका वजन कम नहीं होगा | आपका सिस्टम उस भोजन का इस्तेमाल करना सीख लेगा जिसे आपने अच्छे से खाया है और आपको इसका बहुत फायदा होगा |
नोट : 24 कोर (24 bites) खाने से सच में दिन में नींद नहीं आती क्योंकि पिछले 15-20 दिनों से मैं इस एक्सपेरिमेंट को कर रही हूँ | ये सच में एक जादुई तरीके जैसा है |
मैं आगे भी आपके साथ मेरे मन में उठने वाले सवालों और उनके जो जवाब मैं खोज सकूंगी उनको आपके साथ शेयर करने कि कोशिश करती रहूंगी |
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