खुश कैसे रहें ? How to be happy? ~ Way To Live Life

Wednesday 4 January 2023

खुश कैसे रहें ? How to be happy?

प्रसन्नता को संतुष्टि के रूप में परिभाषित किया जा सकता है। यह अंदर से अपने आप आती है, कोशिश करने से नहीं। अगर हम सोचते हैं की इसके बारे में सिर्फ सोचकर ख़ुशी हाशिल की जा सकती है तो यह गलत है | ऐसा करने से आप अस्थाई रूप से खुश हो सकते हैं लेकिन स्थाई रूप से खुश नहीं रह सकते | आइये कुछ इसे तरीकों के बारे में बात करते हैं जो खुश रहने में हमारी मदद कर सकते हैं।



काम को एकाग्रता से करें

अध्ययन में यह पाया गया है कि एक भटकता हुआ मन कभी भी एक खुश मन नहीं हो सकता । मन का भटकना नकारात्मक विचारों को आकर्षित करता है। जब हम कोई काम पूरी एकाग्रता से करते हैं तो हमे एक ख़ुशी का अनुभव होता है क्योंकि उस समय हमारे मन में कोई और विचार नहीं होता और हम खुश महसूस करते हैं | सार्थक अनुभवों पर ध्यान केंद्रित करना बहुत सुखद होता है। इसलिए प्रसन्नता के लिए यह आवश्यक है कि अपने मन को इधर-उधर न भटकने दें।

अपने दीमाग को व्यस्त रखें

अपने दीमाग को व्यस्त रखें : जब हम किसी इसे काम में व्यस्त होते हैं जो हमे पसंद है और उस काम के सार्थक परिणाम होने वाले हैं तब हम सबसे ज्यादा खुश होते हैं । उस समय हमारा ध्यान केवल उस पर होता है जो हम कर रहे होते हैं। एक व्यस्त दिमाग नकारात्मक और अनावश्यक विचारों से को दूर रखता है इसलिए हम खुश रहते हैं। अतः प्रसन्न रहने के लिए अपने मन को सार्थक कार्यों में व्यस्त रखना अत्यंत आवश्यक है।

खुशी अपने भीतर खोजें

आज के समय में अधिकांश ऐसे लोग अपनी खुशी के लिए दूसरों पर निर्भर रहते हैं। जब कोई हमें निराश निराश करता है या हमरे अनुरूप काम नहीं करता तो हम दुखी और उदास महसूस करते हैं । हमने अपनी ख़ुशी की चाबी किसी और को दे रखी है | यह ठीक नहीं है | हम अपनी खुशी के लिए दूसरे पर निर्भर क्यों हैं? दूसरों के भरोसे न रहें। खुशी बाहर से नहीं बल्कि अपने अंदर से आती है। हमारी खुशी और संतुष्टि के लिए केवल हम ही जिम्मेदार हैं। आपकी भावनाओं को बेहतर बनाने के लिए आपके अलावा कोई भी जिम्मेदार नहीं है। आप किसी के साथ खुश रह सकते हैं लेकिन किसी के कारण नहीं |

पर्याप्त नींद लें

हम सभी जानते हैं कि नींद हमारे शरीर की थकान को दूर करने और खुद की मरम्मत करने में मदद करती है। यह हमें किसी काम पर केंद्रित होने और अधिक काम करने की शक्ति भी प्रदान करती है | बीपीएस की एक रिसर्च से साबित हुआ है कि नींद नकारात्मक भावनाओं के प्रति हमारी संवेदनशीलता को प्रभावित करती है। अध्ययन में यह पाया गया है कि जो लोग दोपहर में बिना झपकी लिए काम करते हैं वे नकारात्मक भावनाओं के प्रति अधिक संवेदनशील हो जाते हैं। पर्याप्त नींद शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण है। जागने के बाद आप कैसा महसूस करेंगे यह इस बात पर निर्भर करेगा की आप कितनी अच्छी तरह सोये हैं | । इसलिए पर्याप्त नींद लें |

दूसरों की मदद करें

दूसरों की मदद करना खुश रहने का सबसे अच्छा तरीका है। जब हम दूसरों की मदद करते हैं तो इसमें हमरा खुद का कोई स्वार्थ नहीं होता। हमने बिना अपने निजी स्वार्थ के ऐसा करते हैं । जितनी ख़ुशी दूसरों पर कुछ पैसे खर्च करने से मिलती है उतनी खुद के लिए सामान खरीदने से नहीं मिलती है। जब हम दूसरों की मदद करते हैं, तो हमारा मस्तिष्क सकारात्मक प्रभाव वाले हार्मोन स्रावित करता है। इसलिए संतुष्टि पाने के लिए दूसरों की मदद करें।

आभारी रहें

आभार व्यक्त करना हमारी संतुष्टि के लिए बहुत उपयोगी है। दूसरों का आभार प्रकट करने से हमरे विचारों पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है | जब हम आभार व्यक्त करते हैं तो इससे हमें संतुष्टि का अनुभव होता है। किसी का थोड़ा सा एहसान करने के लिए भी धन्यवाद करना चाहिए | इससे सकारात्मक उर्जा का संचार होता है | किसी के प्रति कृतज्ञ होने से हमारी जीवन शैली और हमारे व्यवहार पर बहुत प्रभाव पड़ता है | कृतज्ञता का भाव ही सुख है। जब हम किसी के प्रति कृतज्ञ महसूस करते हैं, तब हमारे मन में घृणा और शिकायतों के लिए कोई स्थान नहीं रहता जोकि वास्तविक खुशी की निशानी है। इसलिए हमेशा आभारी रहें।

ध्यान (Meditation)

ध्यान की विधि प्राचीन काल से ही शांत रहने के लिए एक उपयोगी विशी रही है | अगर ध्यान निरंतर रूप से किया जाये तो इसके अभूतपूर्व परिणाम होते हैं | ध्यान करने से हमें ख़ुशी और संतुष्टि का अनुभव होता है | ध्यान के बाद हमें शांति और जागरूकता का अनुभव होता है। ध्यान तनाव और चिंता को दूर करने के प्राचीन और सबसे प्रभावी तरीकों में से एक है। यह वैज्ञानिक रूप से सिद्ध है कि ध्यान के निरंतर अभ्यास से हमारी सोचने की क्षमता बढ़ती है और हमारे सोचने के मानदंड व्यापक होते हैं। इसलिए निरंतर ध्यान का अभ्यास करें।

दूसरों से तुलना करने से बचें

अपनी तुलना दूसरों से करना एक आम आदत है। यह हमारे समाज में, हमारे कार्य स्थल पर या सोशल मीडिया पर हो सकता है। दूसरों से तुलना करने से असंतोष का भाव प्रकट होता है। यह हमारे आत्मसम्मान को कम करेगा और चिंता और अवसाद पैदा करेगा। जब हम अपनी तुलना दूसरों से करते हैं तो हमारा ध्यान दूसरों के कार्यों पर तो जाता है, अपने भीतर नहीं। खुशी के लिए ध्यान अपने भीतर होना चाहिए। इसलिए दूसरों से अपनी तुलना करने से बचें।


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