हम कैसे जान सकते हैं कि हम किस प्रकार दूसरों को नियंत्रित कर रहे हैं ? ~ Way To Live Life

Monday, 13 February 2017

हम कैसे जान सकते हैं कि हम किस प्रकार दूसरों को नियंत्रित कर रहे हैं ?


हमें जांचने के लिए केवल अपने आपको चेक करने की जरूरत है जब लोग हमारे अनुसार व्यवहार करते हैं उस समय हम अपने आपको मानसिक और शारीरिक रूप से बहुत कंफर्टेबल यानी आरामदायक महसूस करते हैं लेकिन अगर ऐसा नहीं होता यानी जब लोग हमारे अनुसार व्यवहार नहीं करते तब हम अपने आपको कंफर्टेबल महसूस नहीं कर पाते | क्या आपके साथ भी ऐसा होता है ??? जब कोई व्यक्ति या आपके अपने आपके कहे अनुसार व्यवहार नहीं करते तब क्या आप भी अपने आपको अनकंफर्टेबल महसूस करते हो ??? क्या आप भी ऐसा सोचते हो की सामने वाला ऐसा कैसे कर सकता है ???

जब हमारे अपने या कोई सामने वाला हमारे अनुसार व्यवहार नहीं करता या हमारे कहे अनुसार कोई काम नहीं करता तो हम अपने आपको अनकंफर्टेबल महसूस करने लगते हैं और सामने वाले के बारे में गलत सोचने लगते हैं | हमारे मन में कुछ ऐसे विचार आते हैं जो शायद ना हमारे लिए और ना ही शायद सामने वाले के लिए अच्छे साबित हो सकते हैं | शायद हम खुद भी नहीं जानते कि हम ऐसा करते हैं या सोचते हैं | परंतु जब हमें बुरा लगता है तब हम यह सोचते हैं की सामने वाले ने जो भी किया है वह सही नहीं है और वह कुछ भी नहीं जानता और कई बार तो हम यह भी सोच लेते हैं की सामने वाला या जिससे भी हम उम्मीद लगा रहे थे, वह ऐसे कैसे कर सकता है या कोई इतना लापरवाह कैसे हो सकता है और कई बार तो हम दूसरों के बारे में इससे भी ज्यादा गलत विचार अपने मन में लाते हैं | जिससे हमरे और सामने वाले के बीच मतभेद होने की संभावना बढ़ जाती है और हम मानसिक रूप से तनाव यानी स्ट्रेस्ड महसूस करने लगते हैं | तब हम अपने आपको आउट ऑफ कंट्रोल की स्थिति में पाते हैं |

क्या यह स्थिति हमारे लिए सही है ??? क्या तनाव में रहना हमारी सेहत और हमारे मानसिक स्वास्थ्य के लिए अच्छा है ??? 

तो आइए जानते हैं कि किस प्रकार हम अपने आपको ऐसे विचारों को मन में लाने से रोक सकते हैं और किस प्रकार हम दूसरों पर नियंत्रण करने को अपने आप को रोक सकते हैं ??? हमें यह जान लेना चाहिए कि हम किसी को भी नियंत्रित नहीं कर सकते | हम स्वयं भी यह नहीं जानते कि हम दूसरों को नियंत्रित कर रहे हैं | तो आइए हम एक उदाहरण के रूप में जानते हैं कि किस प्रकार हम दूसरों पर नियंत्रण यानी दूसरों को कंट्रोल करने की कोशिश करते हैं |

Example : मान लो एक बच्चा पांचवी कक्षा में पढ़ता है और उसके माता पिता को यह पता लगता है कि वह बच्चा स्कूल में शरारतें करता है | जैसे कि किताबों को फाड़ना, सजा मिलने के डर से झूठ बोलना, बच्चों को पीटना या बच्चों के साथ लड़ाई-झगड़ा करना आदि | तो एक माता-पिता के रूप में यह उनकी जिम्मेदारी होती है की अपने बच्चे की आदतों को सुधारे और उन्हें अच्छी राह दिखाएं | ऐसा करते वक्त माता - पिता की इंटेंशन यानी मकसद बहुत ही साफ होता है | लेकिन आमतौर पर माता - पिता जो गलती करते है, वे निम्नलिखित हैं :-


1. वे अपने बच्चों पर हमेशा डाउट करते हैं | हमेशा उन्हें बात-बात पर सलाह देते रहते हैं | यहां तक की उनकी गलतियों को परिवार के अन्य सदस्यों के साथ बार-बार दोहराते रहते हैं |  माता पिता अक्सर अपने बच्चों की गलतियों के बारे में ही बात करते रहते हैं और जिनका असर बच्चों पर साफ दिखाई देता है | बच्चों की गलतियों को बार-बार दोहराने पर या उनकी गलतियों के बारे में बार-बार बात करने पर वे अपने बच्चों को वैसा ही होने पर मजबूर कर देते हैं | जैसे कि किसी बच्चे में यदि झूठ बोलने की आदत है तो उसके माता पिता या परिवार के अन्य सदस्य बार-बार उसे इस बात के बारे में टोकते रहते हैं जिससे उस बच्चे में उस संस्कार के बढ़ने की संभावना अधिक हो जाती है | तो माता-पिता को ऐसी स्थिति में अपने बच्चों पर कंट्रोल नहीं करना चाहिए |

माता-पिता जितना बच्चों को कंट्रोल करने की कोशिश करते हैं, बच्चे उतना ही उनसे दूर होते जाते हैं | बच्चों को कंट्रोल करने से उनमें आत्मविशवास की भावना कम हो जाती है और वह अपने आप को अकेला समझने लगते हैं और बच्चा माता-पिता से बातें छुपाना शुरू कर देता है |

ऐसी स्थिति में माता-पिता को सबसे पहले बच्चे से प्यार से बात करनी चाहिए और उसके स्कूल के बारे में उससे बात-चीत करनी चाहिए | उसकी पसंद और नापसंद को पूछना चाहिए और यदि वह कुछ गलत करता है तो ऐसा करने के पीछे उसका कारण माता पिता को बच्चे से पूछना चाहिए और उसकी बाकी गतिविधियों के बारे में जानकारी लेनी चाहिए | माता पिता को हमेशा बच्चे की अच्छी आदतों के लिए तारीफ करनी चाहिए जैसे कि उसकी अच्छी लिखाई के लिए, उसके व्यवहार के लिए आदि और फिर आराम से बच्चे की गलती के बारे में उसे बताना चाहिए और यह सलाह देनी चाहिए की यह आदत बच्चे के लिए अच्छी नहीं है, यह आदतें उसके सामाजिक व्यवहार के लिए अच्छी नहीं है | यहाँ तक कि माता पिता को बच्चे को उन आदतों के असर के बारे में  समझाना चाहिए और यह भी बताना चाहिए कि यदि वह यह सब आदतें या संस्कार छोड़ दे तो उस पर कितना अच्छा प्रभाव पड़ेगा | ऐसी स्थिति में उन्हें बच्चे को समझने के लिए कुछ समय देना चाहिए | यदि माता पिता बच्चे को प्यार से समझाएं और उसे अपने संस्कारों को बदलने के लिए कुछ समय दें तो अवश्य ही बच्चे भी अपनी गलतियों को सुधारने या अपने संस्कारों को बदलने की कोशिश करेंगे | वे माता-पिता को समझेंगे और खुश भी रहेंगे | 

 
क्या आप जानते हैं जब हम किसी को कंट्रोल या नियंत्रित करते हैं तो हम क्या करते हैं ??? 
जब हम किसी को कंट्रोल या नियंत्रित करते हैं तो हम कुछ इस तरह रिएक्ट करते हैं कि जिससे हमें लगता है कि वह हमारे कंट्रोल में है जैसे गुस्सा करना, चुप रहना, दूसरों को ठेस पहुंचाना या इमोशनली लोगों को टॉर्चर करना आदि | जैसे : जब एक बच्चा हमारा अपमान करता है तो हम उस पर चिल्लाते हैं या गुस्से में आकर उससे बात करना बंद कर देते हैं | इसी प्रकार जब टीनेजर अपने दोस्तों के साथ बाहर फिल्म के लिए जाना चाहते हैं तो माता पिता से पूछने पर उसे बाहर जाने के लिए मना किया जाता है तब माता-पिता की नजरों में यह गलत होता है लेकिन
 जब वे उनकी बात नहीं मानते तब माता पिता कुछ ऐसे शब्दों का प्रयोग करते हैं, जैसे :  "दोबारा इस घर में मत आना"  या "अगर तुमने हमारी बात नहीं मानी तो तुम इस घर से जा सकते हो" |

इसी प्रकार जब हमारे आस पास वाले पड़ोसी या हमारा कोई अपना हमारी बात नहीं मानते तब भी हम अपशब्दों का इस्तेमाल करते हैं या कई बार हम अपने सामने वाले को नजरअंदाज कर देते हैं जिसे आज के शब्दों में राजनीति खेलना या पॉलिटिक्स करना भी कहा जाता है | हमें यह समझना चाहिए कि हमें कभी भी अपनी पोजीशन या रोल को दूसरों पर चाहे वे घर के लोग हो या हमारे आसपास के लोग हो कभी भी किसी को नियंत्रित नहीं करना चाहिए |

कई लोग अपनी पोजीशन या रोल जैसे : माता पिता, मैनेजर, बोस या लीडर होने के कारण, यह कहकर दूसरों को नियंत्रित करते हैं कि ऐसा किए बिना कोई काम होना संभव नहीं है | लेकिन हमें यह समझना होगा कि कोई भी व्यक्ति चाहे वे माता पिता हो या कोई बॉस हो या किसी बड़ी पोजीशन पर हो किसी को भी नियंत्रित नहीं कर सकता | यदि फिर भी कोई ऐसा करता है और सामने वाला उसके अनुसार चलने से मना कर देता है तो ऐसे में कंट्रोल करने वाला अपने आप को अपमानित समझता है | तो हमें यह समझना चाहिए कि हम अपने रोल या पोजीशन के बल पर किसी को नियंत्रित नहीं कर सकते |

क्या जब आप दूसरों को कंट्रोल करते हैं तो आपको मालूम होता है कि आप दूसरों को कंट्रोल कर रहे हैं ???
नहीं हम कभी भी दूसरों को कंट्रोल करना नहीं चाहते | हम हमेशा चीजों को अपने अनुसार चलाना चाहते हैं और यदि कोई हमें कहता है कि हम दूसरों को नियंत्रित या कंट्रोल कर रहे हैं | तो हमारा जवाब यही होता है कि हम क्यों दूसरों को कंट्रोल करेंगे |

क्या आपको दूसरों को नियंत्रित करना अच्छा लगता है ???
नहीं ! ऐसा नहीं है ! हमें दूसरों को नियंत्रित करना अच्छा नहीं लगता और ना ही हम अपनी नजरों में दूसरों को नियंत्रित करते हैं | हम तो केवल चीजों को अपने अनुसार चलाना चाहते हैं | यह सलाह दे सकते हैं कि वे हमारे अनुसार कार्य करें | लेकिन अंतिम फैसला यानी फाइनल डिसीजन तो उन्हीं का होता है | इसी प्रकार यदि हमें कोई नियंत्रित करता है तो हमें अच्छा नहीं लगता और दूसरों के अनुसार चलना या ना चलना अर्थात उनके सुझाव मानना या ना मानना हमारे हाथ में होता है | 

हमें एक बात हमेशा ध्यान रखना चाहिए कि जब हम केवल अपने आप को चाहते हैं यानी केवल अपनी सोच को सही समझते हैं और अपने अनुसार ही चलना या कार्य करना हमें अच्छा लगता है तो हमें यह समझना चाहिए कि क्या हर किसी को अपने अनुसार चलना अच्छा नहीं लगता होगा? 

क्या आपको लगता है कि दूसरों को नियंत्रित करने से उनको मदद मिलती है ???
आमतौर पर यह देखा गया है कि जब हम दूसरों को कोई सलाह देते हैं तो हमारी इंटेंशन बहुत अच्छी होती है | हम अपने परिवार का, दोस्तों का और जो हमारे शुभ चिंतक होते हैं उनका ख्याल रखते हैं | हमेशा चाहते हैं कि उनके साथ हमेशा अच्छा हो | इसी कारण से हम दूसरों को सलाह देते हैं लेकिन हमें एक बात को हमेशा ध्यान में रखना चाहिए कि लोगों का नजरिया हमेशा हमारे से कुछ अलग पर है | 

जब हम दूसरों को हमारी बात मानने के लिए दबाव देते हैं | तो क्या यह ठीक है ?? दूसरों को सुनें बेगैर अपनी राय उन पर थोपना क्या यह दूसरों का अपमान नहीं है ?? किसी भी रिश्ते में चाहे वह माता-पिता और बच्चों का हो, पति और पत्नी का या फ्रेंड्स के साथ हो या फिर किसी पड़ोसी के साथ हो | किसी भी रिश्ते में जब हम दूसरे को कंट्रोल करने की कोशिश करते हैं तो हमें यह समझ लेना चाहिए कि हम अपने रिश्ते को एक प्रकार से ब्लॉक यानी बंद कर रहे हैं | दूसरों पर हमेशा अपनी मर्जी चलाने से रिश्तो में बड़ी दरारें पैदा हो जाती हैं और हम एक-दूसरे से दूर हो जाते हैं | 

तो दोस्तों कभी भी किसी को कंट्रोल करने की कोशिश मत करो, क्योंकि हम किसी को कभी भी बदल नहीं सकते | बल्कि कंट्रोल करने से हम अपने आप को उनसे दूर ही पायेंगे |

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                                  धन्यवाद !

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