आप क्या समझते हैं के सोनाली बेंद्रे का लाइफ स्टाइल खाना पीना कैसा होगा, आप और मैं कल्पना भी नही कर सकते। फिर भी कैंसर कैसे हो गया ? कारण एक ही है जिसपर आज देश मे कोई बात नही करना चाह रहा वो है खाने पीने की वस्तुओं में मिलावट। आज देश की सबसे बड़ी फ़ूड सेफ्टी ऑथिरिटी मानती है के देश मे 89% दूध मिलावटी है और लगभग 70% दूध जो बाजार में बिक रहा है वो जहरीला है। बाक़ि असल मे हालात इससे भी अधिक बद्त्तर हैं, इस तथाकथित फ़ूड सेफ्टी सिस्टम की कार्यशैली देख कर व्यक्ति अपना सर पटक कर दीवार में मार सकता है। एक तरफ तो इनके सिस्टम प्रोटोकॉल स्टैंडर्ड्स प्रोसेजर देख ले तो व्यक्ति खुश्क हो जाये के यहां तो सांस भी नही निकल सकती लेकिन इस सिस्टम की नसों में नीले हरे और गुलाबी गांधी ऐसे दौड़ते हैं के सब कुछ भागने लगता है अपने हिसाब से।
आज मैं और आप सभी सपरिवार कैंसर और डाइबटीज के रथ पर सवार होने को हैं और क्या पता हो भी चुके हों और कुत्ते वाली मौत की तरफ अग्रसर हो रहे हैं। मेरा निजी तौर पर मानना है कि किसान के संग मजदूर भी खेती में दिन रात एक होकर खटते हैं आज हालात काबू से बढ़ कर सर पर खड़े हैं।
देश मे बड़े बड़े तिलक त्रिपुंड धारी लाला जी जो अक्सर सनातन धर्म समितियों बड़े बड़े मंदिरों के चेयरमैन मिलते हैं और कभी भी 1लाख से कम डोनेशन नही देते | समाज मे इतनी क्लीन छवि रखते हैं और उनके नाम भी राम और कृष्ण से जुड़े होते हैं, वे लोग खाने पीने की चीजों में मिलावट से जुड़े मिलते हैं।
आज मैं और आप सभी सपरिवार कैंसर और डाइबटीज के रथ पर सवार होने को हैं और क्या पता हो भी चुके हों और कुत्ते वाली मौत की तरफ अग्रसर हो रहे हैं। मेरा निजी तौर पर मानना है कि किसान के संग मजदूर भी खेती में दिन रात एक होकर खटते हैं आज हालात काबू से बढ़ कर सर पर खड़े हैं।
देश मे बड़े बड़े तिलक त्रिपुंड धारी लाला जी जो अक्सर सनातन धर्म समितियों बड़े बड़े मंदिरों के चेयरमैन मिलते हैं और कभी भी 1लाख से कम डोनेशन नही देते | समाज मे इतनी क्लीन छवि रखते हैं और उनके नाम भी राम और कृष्ण से जुड़े होते हैं, वे लोग खाने पीने की चीजों में मिलावट से जुड़े मिलते हैं।
मिलावट कौन करवा रहा है ???
हमारा कानून जो नेचुरल और सिंथेटिक में फर्क नही करता, दूध में फैट होनी चाहिए बेशक स्लॉटर हाउस की फैट ही क्यों न हो। अभी कुछ दिन पहले रुद्रपुर में एक टैंकर पकड़ा गया था जिसमे स्लॉटर हाउस से फैट ला कर खाद्यतेल बनाया जा रहा था।
अब ईलाज क्या है जागरूक होना ईलाज नम्बर 1 है, खाने पीने के मामले में एक दम रिजिड हो जाओ किसी पर भरोसा मत करो। चाणक्य भी राजाओं के लिए कह कर गया है के माँ, बहन और पत्नी के द्वारा बनाया हुआ भोजन ही राजा को ग्रहण करना चाहिए। यह बात एक इशारा है के हमे अपने भोजन के प्रति जागरूक होना पड़ेगा। अमरीका बहुत जागरूक हो चुका है। जब से अमरीका में यह रिसर्च हुई है के गाय का घी जो नेचुरल तरीके से बना हो यूज करने से डायबिटीज हृदय रोग और कैंसर का रिस्क कई गुना कम हो जाता है तब से अमरीका में गाय के देसी घी का इम्पोर्ट कई गुना बढ़ गया है। किसान सीधे अमरीका घी भेज पा रहे हैं, पंचकूला में ग्वाला गद्दी के महंत श्री मोहन सिंह जी ने कल बताया के उनके पास 18000 लीटर देसी घी अमरीका में भेजने का आर्डर है और जो घी FDA वाले पहले 8 सप्ताह में अपप्रूव करते थे अब वो 48 घण्टे में पोर्ट से निकल रहा है जो कि बहुत बड़ी बात है।
अब ईलाज क्या है जागरूक होना ईलाज नम्बर 1 है, खाने पीने के मामले में एक दम रिजिड हो जाओ किसी पर भरोसा मत करो। चाणक्य भी राजाओं के लिए कह कर गया है के माँ, बहन और पत्नी के द्वारा बनाया हुआ भोजन ही राजा को ग्रहण करना चाहिए। यह बात एक इशारा है के हमे अपने भोजन के प्रति जागरूक होना पड़ेगा। अमरीका बहुत जागरूक हो चुका है। जब से अमरीका में यह रिसर्च हुई है के गाय का घी जो नेचुरल तरीके से बना हो यूज करने से डायबिटीज हृदय रोग और कैंसर का रिस्क कई गुना कम हो जाता है तब से अमरीका में गाय के देसी घी का इम्पोर्ट कई गुना बढ़ गया है। किसान सीधे अमरीका घी भेज पा रहे हैं, पंचकूला में ग्वाला गद्दी के महंत श्री मोहन सिंह जी ने कल बताया के उनके पास 18000 लीटर देसी घी अमरीका में भेजने का आर्डर है और जो घी FDA वाले पहले 8 सप्ताह में अपप्रूव करते थे अब वो 48 घण्टे में पोर्ट से निकल रहा है जो कि बहुत बड़ी बात है।